कहानी संग्रह >> एक स्त्री का विदागीत एक स्त्री का विदागीतमृणाल पाण्डे
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मृणाल पाण्डे का एक श्रेष्ठ कहानी-संग्रह
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हमारे समय में, जब अखबारी खबर को ‘स्टोरी’, और रोमांच और सनसनी-भरी वारदातों को ‘सत्यकथा’ या ‘नाटक’ कहकर परिभाषित किया जाने लगा है, तो एक ईमानदार कहानीकार के लिए जरूरी हो जाता है, कि वह नये सिरे से वह लिखे, जो सत्यकथा नहीं, स्टोरी नहीं राष्ट्र के नाम संदेश व रिपोतार्ज भी नहीं, सिर्फ एक विशुद्द गठी हुई कहानी हो, और कहानी के सिवा कुछ न हो।
इस संकलन की कहानियाँ हमारे समय, और खुद कलाकार की, रचनात्मक शक्ति को आखिरी बूँद तक निथारकर, उससे वह अन्तिम आकार छान पाने की कोशिश करती हैं, जो प्रचार-माध्यमों की पकड़ के परे, कहानी-कला का विशुद्ध स्वरूप है। इनमें एकल किस्सागोई भी है, और सामूहिक हुँकारा भी। सुनी-सुनाई भी है, और देखी-दिखाई भी, जन्म भी है, और मृत्यु भी, चलायमान समय भी है, और सर्वव्यापी काल भी। और अगर कोई सुधीजन कुनमुना-हिनहिनाकर पूछें, कि इनमें आदि-मध्य-अन्त (और समाज के लिए संदेश या सूक्तिवचन समान कुछ बातें) क्यों नहीं हैं ? तो यह कहानी बड़ी विनम्रता से पूछना चाहेगी, जीवन में ही वह सब है क्या ?
इस संकलन की कहानियाँ हमारे समय, और खुद कलाकार की, रचनात्मक शक्ति को आखिरी बूँद तक निथारकर, उससे वह अन्तिम आकार छान पाने की कोशिश करती हैं, जो प्रचार-माध्यमों की पकड़ के परे, कहानी-कला का विशुद्ध स्वरूप है। इनमें एकल किस्सागोई भी है, और सामूहिक हुँकारा भी। सुनी-सुनाई भी है, और देखी-दिखाई भी, जन्म भी है, और मृत्यु भी, चलायमान समय भी है, और सर्वव्यापी काल भी। और अगर कोई सुधीजन कुनमुना-हिनहिनाकर पूछें, कि इनमें आदि-मध्य-अन्त (और समाज के लिए संदेश या सूक्तिवचन समान कुछ बातें) क्यों नहीं हैं ? तो यह कहानी बड़ी विनम्रता से पूछना चाहेगी, जीवन में ही वह सब है क्या ?
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